आज़ दिनांक १६.५.२३ को प्रदत्त विषय, ' मां की अभिलाषा ' पर मेरी प्रस्तुति:
मां की अभिलाषा :
--------------------------------------------
हर मां की होती अभिलाषा,बच्चा पढ़-लिख नाम करे ,
रोशन रहे उसका भविष्य और मात -पिता का सम्मान करे
उसके कारण मात -पिता भी आदर पाएं जगती मे ,
गर्वित हों सब परिवारी जन,मिले बड़ाई धरती मे।
बच्चे कुछ विदेश जा पढ़ते, वहीं काम पा जाते हैं,
शादी-ब्याह वहीं पर करते और वहीं रह जाते हैं।
भुला बैठते मात -पिता ने अप्रतिम तक़लीफ़ उठाई थी।
उसे विदेश भेजने की ख़ातिर वृद्धावस्था -पूंजी गंवाई थी।
धनहीन लाचार मात -पिता अब प्रभु भरोसे रहते हैं,
रोते हैं बच्चे को याद कर सलामती की दुआएं देते हैं।
बच्चे भूल सकते हैं उनको प्रभु तो भुला नहीं सकते,
कभी बीमे के पैसे मिलते कभी पुराना कर्जा पाते हैं
सभी विदेश जा पढ़ने वाले बच्चों से है मेरा कहना,
कितना कष्ट उठा पिता ने दिया तुम्हे विदेशी शिक्षा का गहना।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Punam verma
17-May-2023 09:04 PM
Very nice
Reply
Abhinav ji
17-May-2023 08:44 AM
Very nice 👍
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
17-May-2023 08:21 AM
लाजवाब लाजवाब
Reply